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    खराब सड़कों और मवेशियों के जमावड़े के लिए हाईकोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और नगर निगम को लगाई फटकार

    बिलासपुर। जांजगीर-चांपा प्रदेश की खराब सड़कों और मवेशियों के जमावड़े के लिए हाईकोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और नगर निगम को फटकार लगाई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि एनएचएआई पर सड़क सुधार का जिम्मा है। अगर नहीं कर पा रहे तो केंद्र सरकार को बता दें, ठीक कराना हमें आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सड़कों पर मवेशी मिले तो नगर निगम के आयुक्त जिम्मेदार होंगे। सड़कों से मवेशी नहीं हटने और खराब सड़कों से हो रहे हादसों को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। मुख्य सचिव को शपथपत्र में बताने कहा कि सड़कों पर मवेशियों से कब तक छुटकारा मिलेगा? लगातार निर्देशों के बाद भी हालत न सुधरने पर हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों के प्रति कड़ा रुख अपनाया।”

    माननीय न्यायालय को यह भी मालूम है की छत्तीसगढ़ शासन के सचिव ने जो शपथ पत्र प्रस्तुत किया है वह झूठा शपथ पत्र हो सकता है इसके लिए जिम्मेदार छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री विधायक संबंधित क्षेत्र के कलेक्टर संबंधित क्षेत्र के जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संबंध जनपद पंचायत क्षेत्र के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संबंधित क्षेत्र के पंच सरपंच नगर निगम के अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को मालूम है की आवारा मवेशियों का सड़कों पर जमावड़ा लगा रहता है वही छत्तीसगढ़ शासन की गौ अभ्यारण योजना जो बनाई गई है  मुख्यमंत्री के द्वारा उसका सही अनुपालन नहीं किया जा रहा है एवं पूर्व सरकार द्वारा स्थापित गोठान बनाया गया है जहां पशुओं के लिए चार की व्यवस्था नहीं है पानी की व्यवस्था नहीं है उचित शेड की व्यवस्था नहीं है ऐसे स्थान पर मवेशी को रखने के लिए संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि उदासीनता का परिचय दे रहे हैं जिसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है अधिकांश दुर्घटना मवेशी के टकराने की वजह से होता है अगर जिस किसी भी क्षेत्र में सड़कों में अगर वाहन चालक मवेशियों को रौदते  हुए चला जाता है तो उसके खिलाफ में एफआईआर दर्ज कर दी जाती है और उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है क्यों ना संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि के खिलाफ में एक्शन क्यों नहीं लेता शासन सड़कों का उचित रखरखाव का जुम्मा कलेक्टर के अधीन में रहता है कलेक्टर भी सड़कों पर जानवर को देखते हुए कुछ नहीं करता क्योंकि कलेक्टर को पूरी पावर रहती है कि संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को क्लास लेकर चेतावनी दे की सड़कों से मवेशी को हटाने का प्रयास करें मगर कलेक्टर भी इन सब मामलों से दूर है।

    न्यायालय को यह भी आदेश करना चाहिए था न्यायालय को पूरा पावर है जिस क्षेत्र से मजिस्ट्रेट आना-जाना करते हैं जज आना-जाना करते हैं वह देख रहे हैं सड़कों पर मवेशी विराजमान है तो तत्काल कलेक्टर को ही क्यों ना सस्पेंड करें इस मामले में सर्वप्रथम संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की पद को समाप्त करें उसका प्रतिनिधित्व करने की पावर को खत्म करें ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए की हाई कोर्ट को मालूम है की जितनी भी सरकारी जमीन है उन सरकारी जमीन एवं चारागाह में बेज़ा कब्जा कर चुके हैं पहले भेजा कब्जा धारी को हटाए उसके बाद में मवेशियों का रखने का स्थान चारागाह का व्यवस्था करें इसके लिए शासन के ही जनप्रतिनिधि जिम्मेदार माना जाए।

    यह भी है कि हमारे संवाददाता भी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं रास्ते में कभी बिलासपुर से नरियारा आ रहे थे अपने घर तो बिलासपुर मार्ग में मवेशियों का जमावड़ा लगा था मवेशी सड़कों पर इधर से उधर चल रहे थे इस दौरान हमारे संवाददाता दुर्घटना के शिकार हो गए एवं बाल बाल बचे मवेशियों के टकराने की वजह से अधिकांश दुर्घटनाएं होती रहती है।

    छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को मालूम है देख रहे हैं मजिस्ट्रेट जिस इलाके से गुजर रहे हैं वहां पर मवेशी है तो संबंधित क्षेत्र के कलेक्टर का वेतन को रोका जाए कार्य में लापरवाही बरतने के कारण दर्शाते हुए संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का प्रतिनिधित्व को हटा दे।

    बेजा कब्ज को बढ़ावा देने का काम जनप्रतिनिधियों के माध्यम से एवं संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार कलेक्टर के द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है जब बेज़ा कब्जा तोड़ने जाती है तो वहीं पर न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश ले ले जाती है स्थगन आदेश को क्यों देती है न्यायालय यह भी एक महत्वपूर्ण कड़ी के अंतर्गत आता है जिसे न्यायालय गंभीरता से ले।